Shakambhari is another divine form of goddess Durga which
originated from “Shaka” – Veggies or food and “Bhari” - who wears.
As per the story in Devi Bhagwat Puran, chapter 28, it is
said that, once there was no rain for a 100 year. This affected all the human
beings terribly. In the same tenure the demon Durgam had acquired all the Vedas
from lord brahma. Then devi durga came in the avatar of Mata Shakambhari with wearing
lots of veggies and fruits on her to save the human beings and get back the
Vedas.
It is located nearly 40 km from Sikar in Rajasthan. One can
find all day running transport facility from Sikar as well as from Jaipur for the
temple.
The temple is beautifully carved in between the hills. There
is an outstanding mirror work done in the whole interior of temple. The
surrounding of temple is simply eye catching. There is an old dame near the
temple. Overall its an divine feeling with
beautiful sights while the journey.
सकराय माता / सिकराय मत / शाकम्भरी माता
राजस्थान में पड़े भीषण अकाल के समय इन्होने अकाल पीडितो के लिए कंद मूल फल उत्पन्न किये, इसी कारन इन्हें शाकम्भरी ( शाक + भरी ) भी कहते हे.
यह मूलतः खंडेलवाल समुदाय की कुल देवी के रूप में विख्यात हे.
इनका शक्ति पीठ शेखावाटी अंचल में सीकर के पास उदयपुर वाटी में हे. चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में यहाँ मेल लगता हे जहा दूर दूर से श्रद्धालु आते हे.
इस शक्तिपीठ पर नाथ सम्प्रदाय का वर्चस्व रहा हे.
सकराय माता / सिकराय मत / शाकम्भरी माता
राजस्थान में पड़े भीषण अकाल के समय इन्होने अकाल पीडितो के लिए कंद मूल फल उत्पन्न किये, इसी कारन इन्हें शाकम्भरी ( शाक + भरी ) भी कहते हे.
यह मूलतः खंडेलवाल समुदाय की कुल देवी के रूप में विख्यात हे.
इनका शक्ति पीठ शेखावाटी अंचल में सीकर के पास उदयपुर वाटी में हे. चैत्र और आश्विन माह के नवरात्रों में यहाँ मेल लगता हे जहा दूर दूर से श्रद्धालु आते हे.
इस शक्तिपीठ पर नाथ सम्प्रदाय का वर्चस्व रहा हे.
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